Rather then throwing them about the junkyard we must learn how we could repair, reuse and recycle our things as a way to minimize …
नैतिक शिक्षा – जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।
उत्तर: तैयार रहना और कड़ी मेहनत करना महत्वपूर्ण है, लेकिन दयालु होना और जरूरतमंदों की मदद करना भी महत्वपूर्ण है।
मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।
उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।
The narrative weaves with each other the lives of varied characters, reflecting the unique tapestry of Varanasi, from your ghats along the Ganges to your slim lanes pulsating with the city’s history. Having a mixture of humour, satire, and social commentary, Kashi Ka Assi
बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।
(एक) “ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?” कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा। बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—“हाँ बेटा, ला देंगे।” उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'
चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।
उदाहरण के लिए इस कहानी का पहला पैरा ही देखिए :
अमूल अमेरिकी दूध बाज़ार पर पकड़ बनाने के लिए कर रहा ये कोशिश
The poet employs a singular blend of philosophical insights, vivid imagery, and rhythmic verses to make a get the job done that resonates with readers, creating this a timeless and celebrated bit of Hindi literature. The poem has acquired widespread acclaim for its depth, common themes, as well as lyrical splendor of its verses, establishing Harivansh Rai Bachchan as One of the more influential poets in Indian literature.
एक दिन राजा के नौकर ने ब्राह्मण से बक्शीश मांगी। ब्राह्मण कोई जवाब दिए बिना वहां से चला गया। नौकर ने ब्राह्मण को सबक सिखाने की ठानी। अगले दिन नौकर ने ब्राह्मण से कहा की राजा तुम read more से नाराज हैं क्योंकि उन्हें तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध आती है। ब्राह्मण घबरा गया और अगली बार राजा से मिलने अपने नाक मुँह पर कपड़ा रख कर गया।
" किरन अभी भोरी थी। दुनिया में जिसे भोरी कहते हैं, वैसी भोरी नहीं। उसे वन राधिका रमण प्रसाद सिंह